बादलों पर चल पड़े
ग्रेस एल. डिलन
Trans. Devyani Bhardwaj
परिचय
भविष्यवाद की देशज (indigenous) परिकल्पना
इक्कीसवीं शताब्दी की शुरुआत के करीब कनाडा की एक प्रमुख शहरी थियेटर कंपनी, नेटिव अर्थ पर्फ़ोर्मिंग आर्ट ने एक नाटक प्रस्तुत किया ‘वि-स्थानीय’ (alterNatives), जिसके केंद्र में एक समकालीन उदारवादी युगल एक डिनर पार्टी का आयोजन करता है। एंजेल स्थानीय (native) विज्ञान कथा लेखक है और कोलीन एक “नास्तिक” यहूदी बुद्धिजीवी जो स्थानीय (native) साहित्य की शिक्षक है। उनके मेहमान प्रत्यक्षतः दोनों समाजों के अतिवादी समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं – एंजेल के पुराने करीबी दोस्त कट्टरपंथी स्थानीय (native) आंदोलनकारी हैं और कोलीन के सहकर्मी पर्यावरण के प्रति सजग शाकाहारी/पशु चिकित्सक हैं। नाटक के लेखक ड्रू हेडन टेलर (ओजिब्वे) विज्ञान कथा साहित्य सहित अनेक समकालीन स्थानीय (native) अनुभवों के बारे में प्रचलित धारणाओं पर कटाक्ष करते हैं। एंजेल विज्ञान कथाएँ लिखना चाहता है क्योंकि उसे लगता है कि यह विधा मज़ेदार है। वह “कनाडा के महान मूल निवासियों (aboriginals)” के बारे में उपन्यास लिखने के बारे में सोचना भी नहीं चाहता क्योंकि उसे लगता है कि ऐसा करके वह उस “खिड़की में तब्दील हो जाएगा जिसके जरिये बाकी का कनाडा उसके समुदाय के जीवन में झांक सकता है”। एंजेल विज्ञान कथाओं में मुक्ति का मार्ग देखता है और उसे यह समझ नहीं आता कि इस पर आर्थर सी. के. क्लार्क, विलियम गिब्सन, और उरसुला के. ले गुइन जैसे लोगों का ही आधिपत्य क्यों होना चाहिए, हालांकि वह खुद इन सबका बहुत बड़ा प्रशंसक है। वह तंज़ करते हुए कहता है, “जब तक किसी खास नस्ल का होना ही ज़रूरी ही न हो, मैं यह मानता हूँ कि मैं जैसा चाहूँ वैसे पात्र, माहौल या परिस्थिति की रचना कर सकूँ और इसके लिए मेरी राह में कोई रुकावट न हो, … लोग मुझसे नए किस्म की रचना लिखने की उम्मीद करते हैं और मुझे विश्वास है कि मैं उनकी इस उम्मीद पर खरा उतरूँगा। लेकिन मैं यह अपनी तरह से करना चाहता हूँ, एक ऐसे विज्ञान कथा लेखक के रूप में जो आर्थिक रूप से समर्थ है और मूलतः एक मूलनिवासी (aboriginal) है”।1
एंजेल द्वारा “महान मूलनिवासी उपन्यास” की तुलना में विज्ञान कथा साहित्य को अधिक अहमियत देना यह दिखाता है कि विज्ञान कथा भी कनाडा के मूल निवासियों की आवाज़ और उनकी परंपरा को पुनर्नवा, पुनर्जीवित करने और उसके प्रसार के लिए एक बेहद वाजिब तरीका हो सकती हैं। यह किताब उन देशज लेखकों के लेखन को संकलित करती है जिन्होंने इस विकल्प को चुना।2 उनकी कहानियाँ “आरक्षित यथार्थवाद” “reservation realisms” को कथा साहित्य में इस तरह समेटती हैं जिनमें कई बार देशज विज्ञान और सार्वजनिक विमर्श में मौजूद आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धांत आपस में घुलमिल जाते हैं तो कई बार वे पाश्चात्य विज्ञान की सीमाओं को चुनौती देती हैं। इस टकराव की प्रक्रिया में यह लेखक सवाल उठाते हैं कि वास्तव में विज्ञान कथा है क्या? क्या विज्ञान कथाओं के पास अतीत को एक नए नज़रिये से देखते हुए स्थानीय भविष्य, देशज आकांक्षाओं की कल्पना करने या अर्जित सपनों के पुनःसृजन की क्षमता है?
“वि-स्थानीय (alterNatives)” का एंजेल कह सकता है, “क्यों नहीं?”
जैसे बेसिल जॉनसन (अनिशनबे) हमें “सच्चाई की कहानी” (व-दाएब-अवाए w’daeb-a-wae) में याद दिलाते हैं कि अपनी आवाज़ और अपने शब्दों का इस्तेमाल वहीं तक करो जहाँ तक शब्द और धारणाएँ इजाज़त दें।
“बादलों पर चल पड़े” Walking the cloud विज्ञान कथा साहित्य के क्षेत्र में स्थानीय/देशज/स्वदेशी उपस्थिति को सामने लाती है। यह बताती है कि देशज विज्ञान कथाएँ कोई नई परिघटना नहीं हैं – बस वे उपेक्षा की शिकार रही हैं, हालाँकि एक उभरता हुआ आंदोलन हमेशा उनके साथ चला है जो इस बात की भी सिफ़ारिश करता है कि देशज लेखकों को यह कथाएँ ज़्यादा से ज़्यादा लिखनी चाहिए। लोकप्रिय वेस्लेयन विज्ञान कथा संकलन Wesleyan Anthology of Science Fiction (2010) के संपादकों के अनुसार वह विधा जिसे खासतौर से “पाश्चात्य तकनीक संस्कृति और भविष्य की चेतना की बढ़ती संभावनाओं के रूप में देखा जाता है” में खुद को स्थापित करने के लिहाज से हमें इस तरह का लेखन ज़्यादा से ज़्यादा करना चाहिए। “बादलों पर चल पड़े ” Walking the cloud विज्ञान कथा और स्थानीय बौद्धिकता को एक साथ लाती है, देशज वैज्ञानिक शिक्षा और पाश्चात्य तकनीक-संस्कृति विज्ञान, रंगभेद की सोच (skin thinking)3 के बीच उलझी हुई वैज्ञानिक संभावनाओं को एक साथ लाती है। यहाँ शामिल कहानियाँ “इंडियन पहचान” से जुड़े मुद्दों से टकराते हुए किया गया वैचारिक प्रयोग है। इन्हें एक ऐसी विधा में लिखा गया है जो उन्नीसवीं सदी के मध्य में उपनिवेशवादी विचारों के साथ गलबहिया करते विकासवादी सिद्धान्त और मानवशास्त्र के संदर्भ में उभर रही थी, जिसकी रुचि खासतौर से “प्रतिस्पर्द्धा, अनुकूलन, नस्ल और नियति”4 के वैज्ञानिक घालमेल के परिणामों के साथ सामंजस्य बनाने – या उसे नकारने – में थी। ऐतिहासिक रूप से विज्ञान कथाओं की प्रवृत्ति पारंपरिक समाजों के देश-काल से जुड़े चिंतन को खारिज करने की रही है,5 और तब भी वे औपनिवेशिक दौर के उत्पीड़न का उल्लेख “रोमांच कथा”6 के रूप में कर सकती हैं। इसका शीर्षक भी एफ्रो-भविष्यवाद को श्रद्धांजलि देता है, जो विज्ञान कथा के अध्येताओं के बीच अध्ययन का अहम विषय है। साइंस फ़िक्शन स्टडीज़ के इधर के एक विशेषांक के परिचय में इस विषय पर मार्क बौल्ड लिखते हैं, यहाँ मकसद किसी तरह एफ्रो-भविष्यवाद को विज्ञान कथा के लिए कमतर क्षेत्र के रूप में दिखाना नहीं है, बल्कि इस बात को चिह्नित करना है कि इस तरह की अंतःक्रिया में एफ्रो-भविष्यवाद और विज्ञान कथा के सिद्धान्त एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। यही बात यहाँ इस्तेमाल किए गए नज़रिये के लिए भी कही जा सकती है।7
देशज भविष्यवाद के लेखक कभी जान-बूझ कर प्रयोग करते हैं, कभी जानबूझ कर तोड़फोड़ करते हैं, कभी साथ चलते हैं लेकिन किसी न किसी रूप में विज्ञान कथाओं की परिधि को बदलते रहते हैं।8 विधा के दायरों से मुक्त हो कर, या “गंभीर” स्थानीय लेखकों से जो लिखने की अपेक्षा की जाती है उससे मुक्त हो कर उन्हें देश-काल, पात्र, संवाद आदि के साथ खेलने की ज़्यादा छूट मिल जाती है, वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण कर पाते हैं और संभवतः अधिक प्रभावी तरीके से देशज विज्ञान को उस विमर्श में शामिल कर पाते हैं, जो समझदार पाठकों को यह मानने के लिए आमंत्रित कर पाते हैं कि देशज विज्ञान महज पाश्चात्य ज्ञानोदय का पिछलग्गू नहीं है बल्कि इक्कीसवीं सदी की परिष्कृत संवेदनशीलता भी उसका आंतरिक हिस्सा है।
तैयाके अल्फ्रेड (केनियन क़हाक़ा) स्थानीय लोगों से “चिंतक, शिक्षक, लेखक और कलाकारों” के रूप में योद्धा नैतिकता को अपनाने का आह्वान करते हुए कहते हैं, उसे पूरा करने और “औपनिवेशिक ताकतों से जूझने के लिए जीवित रहने के संघर्ष में” विज्ञान कथा साहित्य से बेहतर ज़मीन और क्या हो सकती है? और इससे बेहतर मनोजगत कौनसा होगा जो “परंपरा को नीचा दिखाने के लिए नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए वे अब भी उतनी ही सुदृढ़ हैं, उन्हें आलोचनात्मक नज़र से देखे”?9
किताब बादलों पर चल पड़े Walking the cloud जिस तरह विज्ञान कथा के घटकों की पुनःपरिकल्पना करती है उसके अनुरूप ही खंडों में विभाजित है: स्थानीय स्लिपस्ट्रीम ; संपर्क; देशज वैज्ञानिक साक्षरता और पर्यावरणीय स्थिरता; स्थानीय प्रलय, क्रांति और संप्रभुताओं का भविष्यवादी पुनर्निर्माण; और बिसकाबियांग, “खुद की ओर लौटना”: उत्तर आधुनिकता और (उत्तर) उपनिवेशवाद के पार।
स्थानीय स्लिपस्ट्रीम (Native Slipstream)
स्थानीय स्लिपस्ट्रीम , विज्ञान कथाओं के संसार में काल्पनिक कथाओं की एक प्रजाति है, जिसमें कहानी समय के पार यात्रा time travel, वैकल्पिक यथार्थ और अनेक ब्रह्मांड, और वैकल्पिक इतिहास की कल्पना करती है। अपने नाम के अनुरूप स्थानीय स्लिपस्ट्रीम समय को भूत, वर्तमान और भविष्य को एक साथ प्रवाहमान देखता है, जैसे पार करने योग्य किसी प्रवाह में तरंगें हों। इस तरह यह देश-काल के लिए एक ऐसे चिंतन को जाहिर करती हैं जो एकरेखीय नहीं है।
अन्य संदर्भों में स्लिपस्ट्रीम शब्द काल्पनिक लेखन का एक ऐसा सर्वग्रासी गड्ढा बन जाती हैं जो सभी तरह की स्पष्ट श्रेणियों को नकार देती हैं। विक्टोरिया डे ज़्वान स्लिपस्ट्रीम की व्याख्या “एक अत्यंत विध्वंसक, प्रयोगात्मक, यथार्थ विरोधी सतही पाठ” के रूप में करती हैं और यह मानती हैं कि स्लिपस्ट्रीम का लेखन वे लोग करते हैं जो “विज्ञान कथा विधा की परंपरा को कमतर मानते हैं और इसके साथ खिलवाड़ करते हैं” या वे लोग इन्हें लिखते हैं जो चाहते हैं कि “विषयवस्तु के चयन या तकनीक के साथ तोड़फोड़ के कारण विज्ञान कथा लेखक के रूप में चर्चा में आ सकें”।10 डैमियन ब्रोडेरीक्क का कहना है कि “स्लिपस्ट्रीम बिना प्रवचन दिये, मज़े-मज़े में हमारी सहज अपेक्षाओं को ध्वस्त कर देती हैं और हमारे पूर्वाग्रहों को झकझोर देती हैं”।11 स्थानीय स्लिपस्ट्रीम में यह तमाम खूबियाँ हैं लेकिन वे जिस तरह दुनिया के प्रति अपने नज़रिये को प्रस्तुत करती हैं, उसके कारण विशेष उल्लेखनीय हैं। दूसरे शब्दों में, यह लेखन की ऐसी विधा से है जो सिर्फ नएपन के लिए ही न जानी जाती, बल्कि उसमें यथार्थ का सांस्कृतिक अनुभव भी निहित होता है।
स्थानीय स्लिस्ट्रीम चिंतन, जो करीब एक सहस्राब्दी से हमारे बीच है, इसमें अत्याधुनिक भौतिकी का पहले ही अनुमान कर लिया था, इससे इस विडम्बना का पता चलता है कि स्थानीय लोगों के पास यह ज्ञान हमेशा से मौजूद था। क्वान्टम यान्त्रिकी में इसके सबसे करीब की अवधारणा “अनेक ब्रह्मांड (multiverse)” की है, जिसका यह मानना है कि यथार्थ में अनेक समानान्तर या वैकल्पिक ब्रह्मांड मौजूद हैं। उत्सुक पाठकों को जॉन गृबिन की “अनेक ब्रह्मांडों की तलाश – समानान्तर संसार और सीमांत यथार्थ की खोज” In Search of the Multiverse: Parallel Worlds, Hidden Dimensions, and the Quest for the Frontiers of Reality (2010) और डेविड डॉयट्श की “यथार्थ का ताना-बाना: समानान्तर ब्रह्मांड का यथार्थ और उसके प्रभाव” The Fabric of Reality: The Science of Parallel Universes and Its Implications (1998) पढ़ने में आनंद आएगा। डॉयट्श के नज़रिये में यथार्थ की परिभाषा “एक ऐसे पुस्तकालय की तरह है जिसमें ऐसी किताबों की प्रतियों की भरमार है जिनका पहला पन्ना एक जैसा है लेकिन जैसे-जैसे आप इसे पढ़ते जाते हैं प्रत्येक प्रति में आगे के पृष्ठों में कहानी से एक-दूसरी से ज्यादा से ज़्यादा अलग होती चली जाती है”। डॉयट्श के सिद्धान्त का अगला पड़ाव यह है कि “यह ब्रह्मांडों को फिर संयोग का अवसर देती है … मानो पुस्तकालय की कोई दो किताबें दो अलग-अलग रास्तों से हो कर एक ही सुखांत पर पहुँचती हों”।12
स्थानीय स्लिपस्ट्रीम समय के पार यात्रा का पुनःसृजन कर अनेक ब्रह्मांड की संभावना का दोहन करती हैं। अंततः इरादा महज इतना हो सकता है कि “यह मज़ेदार है” जैसा कि ब्रोडरिक कहते हैं, लेकिन स्लिपस्ट्रीम इसलिए भी प्रभावित करती हैं क्योंकि यह लेखक को स्थानीयता और अतीत से उबरने में मदद करती हैं और समकालीन पाठकों का ध्यान खींचती हैं और बेहतर भविष्य का निर्माण करती हैं। यह विचलन के पलों और उस विचलन के प्रभावों को दर्ज करती हैं। विजनर की “कस्टर ऑन द स्लिपस्ट्रीम” एक वैकल्पिक यथार्थ पेश करती है जहां स्थानीय लोग जनरल जॉर्ज आर्मस्ट्रॉंग कस्टर नामक “कुटिल हारे हुए व्यक्ति की घृणित आवाज़ और दुष्ट तौर-तरीकों” के भुक्तभोगी नहीं रहते। डियाने ग्लान्सी की “आँट प्राणीता’ज़ इलेक्ट्रिक ब्लिस्टर्स” “Aunt Parnetta’s Electric Blisters” भूमंडलीकरण के कारण स्थानिय-ताप मण्डल, संचार प्रोद्योगिकी, और इलेक्ट्रोनिक सर्किट में आए बदलाव को हृदय परिवर्तन की कहानी में तब्दील कर देती है। स्टीफन ग्राहम जोन्स की फास्ट रेड रोड Fast Red Road तेरहवीं शताब्दी से लेकर आने वाले कल के बायोइंजिनियर अमरीका तक के “स्थानीय काल खंडों,” “अवरोधों” “संघीय समय चक्रों” (syndicated time loops) से होकर गुजरती है। शरमन एलेक्सी की कहानी फ्लाइट Flight में समय का हाथ से फिसलते जाना यह सिखाता है कि आप प्रतिशोध के दैत्य को पीछे छोड़ देते हैं, आप उस आक्रोश को पीछे छोड़ देते हैं जो सत्य के लिए न्याय के नाम पर निरर्थक हिंसा का रूप ले सकता है और क्षमा कर पाते हैं। स्थानीय उत्तरजीविता की कहानियों में शामिल स्लिपस्ट्रीम में व्यंग्यात्मक हास्य और कड़वी-मीठी उम्मीद की रंगत मिली है।
यहाँ संकलित कहानियाँ स्लिपस्ट्रीम के दायरे की एक झलक भर देती हैं। इधर देशी मल्टीमीडिया इस परिपाटी के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं : आर्चर पेशविस की कहानी (क्री) हॉर्स पर एक पुरस्कृत प्रयोगधर्मी फिल्म “कस्टर ऑन द स्लिपस्ट्रीम” बनी है, जिसमें लिटिल-बिग हॉर्न की लड़ाई में घोड़े मनुष्यों की सुनने की क्षमता के ह्रास पर शोक मनाते हुए इसके नतीजों की चर्चा करते हैं; स्कवेन्नति फ्रग्नितो (मोहव्क) की “टाइम ट्रेवलर” एक मशीनिमा है जो एक मोहॉक समय यात्री के बारे में है, जो समय के बारे में एक ऐसा देशज नज़रिया पेश करती है अक्सर जिसे दर्ज करने में मुख्यधारा की इतिहास की किताबें बेपरवाह रहती हैं; काऊबॉय स्मिथ की (ब्लेकफुट) फिल्म चांस समय के अंतराल में क्वांटम भौतिकी को नापि की भौतिकी और विज्ञान से जोड़ती है; म्यरोन ए. लमेमान की (बीवर लेक क्री) लघु फिल्म मिहको अलबर्टा टार सेंड्स के शोषण के खिलाफ देशज प्रतिरोध के बाद के निकट भविष्य का सर्वनाशी नज़रिया प्रस्तुत करती है; बेथ ऐलीन लमेमान की (आइरिश अनिशीनाबे, मेतीस) द वेस्ट वाज़ लॉस्ट एक मूलनिवासी स्टीमपंक वेब कॉमिक है जो विंडिगो परंपरा का एक वैकल्पिक इतिहास में पुनरलेखन करती है; जेफ बार्नबे की (मी’ग्मेक) फ़ाइल अंडर मिसलेनियस File under Miscellaneous एक स्किन-रीवायर्ड साइबर पंक नज़रिया है जो देशज भाषाओं को पुनर्जीवन प्रदान करने के साथ ही साथ उस ज्ञान का भी पुनःनिर्माण करने की कोशिश करती है जो पूर्ववर्ती लिखित प्रणालियों में दर्ज किया गया था लेकिन जिसे औपनिवेशिक एजेंडा के तहत जानबूझकर “मिटा दिया” गया ताकि स्थानीय संप्रभुता और अस्मिता को नष्ट किया जा सके; हेलेन हेग ब्राउन (त्सिल्हकोट’इन Tsilhqot’in) की कहानी गुफ़ा Cave त्सिल्हकोट’इन की कथा कहन शैली से सीधे प्रेरणा लेते हुए एक वैकल्पिक संसार की सृष्टि करती है और ऐसा बताया जाता है कि यह पहली ऐसी विज्ञान कथा आधारित फिल्म है जिसे पूर्णतः देशज भाषाओं में बनाया गया है।
संपर्क
विज्ञान कथा के ज़्यादा प्रचलित नमूनों में संपर्क की कहानियाँ खासतौर से स्थानीय/देशज/मूलनिवासी चरित्रों को एलियन/अन्य की तरह प्रस्तुत करती हैं और फतह की थीम का दोहन करती है, अन्यथा “खोज” के रूप में दर्ज होती हैं। या तो एलियन मनुष्य पर हमला करते हैं या मनुष्य एलियनों पर, इनकी पृष्ठभूमि भू-राजनीतिक, मनोवैज्ञानिक, सेक्स या अन्य विषयवस्तु पर केन्द्रित होती हैं। स्थानीय लेखक जो विज्ञान कथा के साथ प्रयोग करना चुनते हैं, इस तरह उनका सामना आंतरिक औपनिवेशिकरण की संभावना से होता है, प्रतिरोध और शोषण के एक ऐसे संकेत विज्ञान से होता है, जो स्थानीय के अस्तित्व को बदलने वाली ऐतिहासिक सच्चाईयों पर बहुत मामूली हस्तक्षेप कर पाती हैं। जब उत्तरजीविता की कथाओं के रूप में देखते हैं तो स्थानीय लेखकों के द्वारा लिखी गई विज्ञान कथाएँ, विडंबनामूलक स्थानीय ‘गिवअवे’ की परंपरा मिइनीडिवाग कथा कहन परंपरा का विस्तार करती हैं, जो पाठकों को समकालीन स्थानीय लोगों के दायरों के संदर्भ में अपनी स्थिति को पहचानने के लिए ललकारती हैं। यहाँ उत्तरजीविता की अवधारणा जेराल्ड विजनर की फ्यूज़िटिव पोजेस – नेटिव अमेरीकन इंडियन सीन्स ऑफ एबसेंस एंड प्रेजेंस में प्रस्तुत बुनियादी चर्चा का अनुसरण करती है। स्थानीय उत्तरजीविता “महज़ ज़िंदा रहने, सहनशीलता, और प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं है …. उत्तरजीविता वर्चस्व, त्रासदी और प्रताड़ना का सक्रिय अस्वीकार है”।13 मिइनिडिवाग, स्थानीय “गिवअवे” विडम्बना के साथ कही जाने वाली उपचारात्मक कहानियाँ हैं, ऐसी कहानियाँ जो श्रोताओं पर कटाक्ष करती हैं और कहानी के माध्यम से जो सबक देना चाहती हैं, उसमें उनकी भूमिका को इंगित करती हैं। तरकीब यह है कि “ऐसे अभिलेखागार बनने से बचा जाए जिनकी धरती पर बहुतायत में मौजूद खोखले विवरणों ढँकी हो” क्योंकि सार्वजनिक स्मृति में वे सिर्फ अपने बाहरी ढांचे और प्रतीकों में ही बची रहती हैं।14
सेल्यू अम्बेर्स्टोन की उपन्यासिका रेफ़्यूजीज़ सार-संक्षेप की शैली में प्रासंगिक संपर्कों को संकलित करती हैं। यहाँ एलियन पृथ्वी वासियों का अपहरण कर लेते हैं और मनुष्य प्रजाति को बचाने के लिए एक नया ग्रह बसाते हैं। सतही तौर पर यह एक भला काम नज़र आता है, और इसका प्रभाव हमारी कथाकार को उपनिवेशवादियों के प्रति अपने पक्षपाती भरोसे और धरती के नवांकुरों के प्रति उनके संशय के बीच सामंजस्य स्थापित करने के संघर्ष में उलझा देता है। गेरी विलियम्स की द ब्लैक शिप होम वर्ल्ड रिप्लेशन्स और साम्राज्य की तलाश में रहने वाले ऐन्फोरियन्स के बीच अत्यधिक साहसिक संघर्षों को प्रस्तुत करती है, जो अंतरिक्ष ओपेरा शैली के लिए विशिष्ट हैं। इस तरह यह रद्दी लुगदी विज्ञान कथा से एक परिचित टेम्पलेट का अनुसरण करते हैं जिसमें “एक आदमक़द नायक तरह-तरह की एलियन प्रजातियों, ग्रह संस्कृतियों, भविष्योंमुखी तकनीकों … और उदात्त भौतिक घटनाओं से”, एक “बहुल, समानान्तर, प्रतिवर्ती देशकाल की निरंतरता में टकराता है”।15 संपर्क के मोटिफ पर विलियम की फिरकी लुगदी के फार्मूले को इस तरह इस्तेमाल करती है कि देशज नज़रिया से ड्रामा खुलने लगता है जिसमें घर-संसार के बारे में धारणाएँ पहले ही जीवन से परिपूर्ण हैं, जिनका सम्मान किया जा सके और जिसके साथ जुड़ाव महसूस किया जा सके। यह साहित्यिक तकनीक है जिसका इस्तेमाल येल इतिहासकार लिसा ब्रुक (अबेनाकी) ने हाल ही द कॉमन पॉट में किया है, यह तकनीक उन्हें अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी में कई स्थानीय लेखकों के पास मिली जिसका इस्तेमाल वे टेर्रा नुल्लीउस terra nullius, एक खाली ज़मीन में प्रवेश के विचार के साथ कर रहे थे। इसलिए, एक खोखली धरती की बजाय (जैसा की भूमिगत रोमांच कथाओं में खोखली धरती के सिद्धान्त की कल्पना की जाती है) धरती अपने आप में एक वोहानक wôlhanak है (अबेनाकी में खोखली हो चुकी जगहें), “भरी जाने के लिए खाली जगह नहीं, बल्कि सामाजिक और परिस्थितिकीय वातावरण में गहराई से स्थित जगह है”। इतना ही नहीं धरती अकी है “एक आत्म-निर्भर पात्र” जिसे ज़रूरत है कि “इसके सभी परस्पर निर्भर निवासी भागीदारी करें”, यह “साझा पात्र (कॉमन पॉट)” सबके द्वारा साझा किया जाना है, “ यह कोई परोपकारी आदर्श नहीं है बल्कि मानव जीवन के लिए अनिवार्य अभ्यास है”।16 संपर्क के आख्यान के साथ सिमोन ओरटिज़ का प्रयोग, “मेन एंड मून”, एक महत्वपूर्ण चुनौती का प्रस्तुत करता है जिसका विवरण इस्तवन सीसेरी रोने अमरीकी तकनीक के उदात्त पक्ष के रूप में देते हैं, यानि हैरतअंगेज उम्मीद कि मनुष्य “देश-काल को नष्ट करने” की क्षमता रखने वाली मशीन का निर्माण कर सकता है।17 एक शांत निश्चय के साथ यह कहानी जीवन और ज्ञान के प्रचलित तौर-तरीकों को पुनःसमायोजित करते हुए, तेज़ी से आगे पढ़ते अन्तरिक्ष युग विज्ञान ने जिन्हें पीछे छोड़ दिया है, उन्हें ज्यादा तीव्रता के साथ देखती है।
स्थानीय विज्ञान साक्षरता और पर्यावरण स्थायित्व
इस किताब का एक लक्ष्य विज्ञान कथा साहित्य को देशज चिंतन से जुड़े अन्य काल्पनिक लेखन से अलग करना है, जैसे कि स्थानीय स्लिपस्ट्रीम या संपर्क कथाओं में वैकल्पिक दुनिया की काल यात्रा (time travel)। यहाँ विज्ञान कथा में विज्ञान का पुनः समावेश उपयोगी होगा, क्योंकि इस विधा का यही मूल तत्व होना चाहिए। तब सवाल यह उठता है कि क्या देशज लोग विज्ञान इस शब्द पर अपना दावा पेश कर सकते हैं (और दरअसल क्या वे ऐसा दावा करना भी चाहते हैं या उन्हें इसकी ज़रूरत भी है)।
संकलन के तीसरे हिस्से में पाश्चात्य विज्ञान की तुलना “देशज वैज्ञानिक शिक्षा” (अन्यत्र जिसे मूलनिवासी संसाधन प्रबंधन, देशज संसाधन प्रबंधन और राजनीतिक रूप से विवादास्पद “पारंपरिक परिस्थितिकीय ज्ञान” के नाम से जाना जाता है) के साथ की गई है, ताकि इस बारे में तर्क दिया जा सके कि स्थानीय/देशज/मूलनिवासी टिकाऊ परंपरा भले ही पाश्चात्य चिंतन की वर्गीकरण प्रणाली से मिलती-जुलती नज़र न आती हो, लेकिन वह वैज्ञानिक है। तकनीक संचालित पाश्चात्य वैज्ञानिक तरीकों के त्वरित प्रभाव के विपरीत देशज वैज्ञानिक साक्षरता उन पद्धतियों का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनका इस्तेमाल देशज लोग सभी (जानवर, मनुष्य, आत्मा और यहाँ तक कि मशीन) के बीच परस्परिक सम्बन्धों के आपसी जुड़ाव को बेहतर बनाते हुए, प्राकृतिक वातावरण को पुनः ऊर्जा प्रदान करने के लिए हजारों सालों से करते आए हैं। इसकी कुछ खासियतों में दवा, खेती, वास्तु, और कला के टिकाऊ स्वरूप शामिल हैं। चूंकि देशज वैज्ञानिक साक्षारताएँ ऐतिहासिक तौर पर विविध प्रकृतिक वातावरण में उनका इस्तेमाल करने वाले समूहों के द्वारा विकसित की गई हैं, इसलिए किसी भी एक पारंपरिक पद्धति में इसकी संभावना समाहित नहीं हो सकती। बल्कि अनेक संस्कृतियाँ अपनी रोज़मर्रा की शिक्षा में इस वैज्ञानिक ज्ञान को प्रदान करने की प्रक्रियाओं को साझा करती हैं। अनिशीनाबेमोविन, में शब्द गिकेनदासोविन की शुरुआत वैज्ञानिक विमर्श की गहराई और उसके पसार को मापने के लिए होती है। यह वनस्पतियों का ज्ञान है, भूमि का ज्ञान है, लेकिन साथ ही यह अपने आप में ज्ञान, शिक्षण और जीवन पद्धति भी है। कथा कहन पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने और प्रसारित करने के लिए चुना हुआ माध्यम था।
इच्छुक पाठकों को इस क्षेत्र में विविध विषयों पर शोधकर्ताओं द्वारा की गई अनेक चर्चाएँ मिल जाएंगी।18 वेंडी मकून जीनिउज़ (क्री जनजाति में पली-बढ़ी अनिशीनाबे) के एक काम का अलग मिजाज का शीर्षक है हमारा ज्ञान पुरातन नहीं है (Our Knowledge Is Not Primitive), हालांकि मौजूदा आंदोलन सामान्यतः इसके उल्लेख से बचते हैं। ध्यान देने की बात यही है। वे पद्धतियाँ जो पाश्चात्य विज्ञान से मेल नहीं खातीं, अनिवार्यतः “पुरातन” नहीं हैं।(19)
नालो होपकिंस के पूरे काम में देशज वैज्ञानिक साक्षरता केंद्रीय भूमिका अदा करती है। “आधी रात का लुटेरा” (Midnight Robber) में सरलतम रूप में इस पद्धति के बारे में बताया गया है: एक बच्चा एक देशज गुरु के संरक्षण में आता है जो उसे व्यावहारिकता पर ज़ोर देते हुए ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी ज्ञान देना शुरू करती है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित किया जाता रहा है। जेराल्ड विजनर सेंट लुईस में अंधेरा: बियरहार्ट Darkness in St. Louis: Bearheart में इस बात पर नव-शमनवद की आलोचना करते हैं जो यह मानता है कि स्थानीय लोग प्रकृति के वास्तविक खतरों से किस तरह अप्रभावित रहते हैं। पर्यावरण अपने आप में स्वायत्त, लचीला और क्रूर हो सकता है; स्थानीय विज्ञान इसके प्रभावों का सामना करने के लिए रूमानियत का सहारा लिए बिना (जैसा कि दावा अक्सर पाश्चात्य विज्ञान के लिए सुरक्षित रखा जाता है) व्यावहारिक रोजमर्रा के तरीकों का सहारा लेता है, जिसे विजनर सीमांत संप्रदाय मानते हैं। एंड्रिया हैयरस्टोन के मन का मंज़र Mindscape में देशज वैज्ञानिक साक्षरता में जैव इलेक्ट्रॉनिक्स, जैव भौतिकी, पारंपरिक औषधिशास्त्र का पता चलता है। और अंत में आर्ची वेलर के सुनहरे बादलों के देश Land of the Golden Clouds में भविष्य के तीन हज़ार सालों की कल्पना की गई है जब मूलनिवासी विज्ञान और औषधि के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए आदिवासी गीत और कथा कहन शैली का उपयोग किया जाएगा।
स्थानीय प्रलय, क्रांति और संप्रभुताओं का भविष्यवादी पुनर्निर्माण
यदि गंभीरता से विचार करें तो पाएंगे कि इस बात पर अब लगभग सर्वसम्मति हो चुकी है कि यह समय स्थानीय प्रलय का है। कई रूपों में देशज भविष्यवाद अब एक आशावादी भविष्य की संभावना को व्यक्त करने लगा है कि जिसमें हालात के उलट जाने की कल्पना निहित है, जहां समय के मुहावरे पर स्थानीयता का वर्चस्व है या कम से कम स्थानीयता केंद्र में है। एंडी डंकन के अनुसार इस तरह के वैकल्पिक इतिहास में अक्सर एक “स्थापित प्रलय” या “उससे बहुत मिलते-जुलते तत्व” होते हैं, मोटे तौर पर कुछ इस तरह के कि पाठक काल्पनिक और वास्तविक घटनाक्रम में फर्क कर सकें।20 वैकल्पिक स्थानीय कहानियों में बार-बार आने वाले तत्वों में 1864 का सेंड क्रीक जनसंहार, लिटिल-बिग हॉर्न की जंग और कस्टर की मौत (1876), वूंडेड नी के जनसंहार के बाद प्रेत नृत्य 1890 (हालांकि वूंडेड नी से पहले भी प्रेत नृत्य के कई प्रकार इतिहास में दर्ज होते रहे हैं), और 1990 में कहनेस्तके में ओका विद्रोह शामिल हैं। स्थानीय भविष्यवाणी से जुड़ी सबसे ज़्यादा प्रचलित छवि प्रेत नृत्य की रही है, और यह इस संग्रह में शामिल लेखों में यह अलग-अलग जगह मौजूद है।
चलिये एक पल के लिए ठहर कर स्थानीय प्रलय की एक अवधारणा को बाइबिल में वर्णित मानदंडों से जिस तरह जोड़ा कर देखा जाता है, उसकी तुलना में इसको समझने का प्रयास करते हैं। लारेंस ग्रोस (अनिशीनाबे) इस दावे का विरोध करते हैं कि अनिशीनाबे संस्कृति “प्रलयोत्तर तनाव सिंड्रोम” से उबर रही है और वे प्रलय को आकोज़ी की एक अवस्था के रूप में समझाते हैं, अनिशिनाबेमोविन में “वह बीमार है” या कुछ हद तक “असंतुलित” है के लिए जिसका उपयोग किया जाता है।21 स्थानीय प्रलय दरअसल असंतुलन की वह अवस्था है जिसे अक्सर “आवधिक सिद्धान्त” के रूप में देखा जाता है, वह विचारधारा जिसके खिलाफ अदृश्यता के बरक्स उत्तरजीविता का पक्ष लेते हुए जेराल्ड विजनर चेतावनी देते हैं। असंतुलन में एक तरह का अतिरेक निहित है, लेकिन इस अतिरेक के भीतर एक मध्यम मार्ग और बीमाडीजीविन के बीज निहित हैं, संतुलन की अवस्था, एक अंतर और प्रावधान, प्रतिरोध और जीवित रहने की एक अवस्था। तब स्थानीय भविष्यवाणी में कथा कहन अंततः उपचार और बीमाडीजीविन में लौटने के प्रयास में होने वाले टूटन, जख्म और सदमे के निशानों को दिखाता है। यह आत्म-निश्चय से जुड़ी संप्रभुता की राह है।
पाठक जिनकी रुचि, विध्वंस के बारे में विज्ञान कथा के एक अप्रस्तुत विधान के विवरण में है वे पैट्रिक बी शार्प की बीहड़ खतरे: अमरीकी संस्कृति में नस्लीय सीमांत और परमाणु प्रलय Savage Perils: Racial Frontiers and Nuclear Apocalypse in American Culture पढ़ने पर विचार कर सकते हैं। परमाणु सीमांत कथा Nuclear Frontier Fiction के रूप में विज्ञान कथा की उनकी व्यापक वंशावली देशज भविष्यवाद के लिए संदर्भ उपलब्ध कराती है, जहां संपर्क और विध्वंस कारण और प्रभाव की तरह परस्पर जुड़े हुए हैं। यहाँ मुख्यधारा की विज्ञान कथा किस हद तक अपनी प्रमुख विषयवस्तु को पाश्चात्य-यूरोपीय और देशज के बीच टकराव के वास्तविक इतिहास से ग्रहण करती हैं, इसे संक्षेप में दर्ज कर सकते हैं:
परमाणु सीमांत कथा साहित्य में कहानियों की विशेषता उनके परिदृश्यों में होती थी, जो साहित्यिक आधुनिकतावाद की बंजर भूमि की कल्पना को उन्नीसवीं सदी की सीमांत कल्पना के साथ विभिन्न संयोजनों में जोड़ती थीं। शहरों के मलबे से भरे वीराने में बदल जाने के बाद, जीवित बचे लोगों को पुराने अमेरिका के मलबे से एक नया अमेरिका स्थापित करने के लिए बर्बरता के विभिन्न रूपों से लड़ना पड़ा। प्रगति और सीमांत की डार्विनवादी अवधारणाओं पर आधारित, अधिकांश परमाणु सीमांत कहानियों ने डार्विन के तर्कों में निहित नस्लवाद को दोहराया, जिसमें श्रेष्ठ यूरोपीय लोगों को एक नई और बेहतर सभ्यता स्थापित करने के संघर्ष में जीतते हुए दिखाया गया।22
शर्मन एलेक्सी की कहानी दूरियाँ “Distences“ सीधे तौर पर प्रेत नृत्य की बात करती है और इसके बाद “इंडियन ट्रैपडोर ह्यूमर” के साथ पुरानी यादों को मिलाते हुए ऐसा प्रभाव उत्पन्न करती हैं जो प्रलयकारी युगांत विज्ञान के पूर्ववर्ती राष्ट्र के लोगों पर प्रभाव को जायज ठहराते हुए उनके प्रति कटु व्यंग पूर्ण व्यवहार को उचित ठहराती है। विलियम सैंडर्स की कहानी जब इस दुनिया में आग लगी है When This World Is All on Fire की उजाड़ बंजर ज़मीन में, स्थानीय समूह बहुत मेहनत के साथ अपने इतिहास, गरिमा और संप्रभुता को बनाए रखते हैं, जबकि आक्रांता गरीब (अक्सर गोरे) उनके इलाके से होकर गुजरते हैं; इस कहानी में शार्प जिस तरह की चर्चा करते हैं उस तरह की मुख्यधारा की विज्ञान कथाओं की उस प्रलयकारी प्रवृत्ति को केंद्र से परे धकेल देती है जिसमें यूरोपीय-पश्चिमी तकनीकी रूप से अभिजात वर्ग के एक छोटे और वफादार समूह को बर्बरता के खिलाफ खड़ा दिखाया जाता है। जैनब अमादाही की पामारेस के चाँद “The Moons of Palmares” एक चक्र को दर्शाती है, जो प्रलय की शुरुआत से लेकर क्रांति से होते हुए पुनर्निर्मित संप्रभुता तक जाता है। मीशा की कहानी लाल मकड़ी, सफ़ेद जाला “Red Spider, White Web” से इस खंड को समाप्त किया गया है, जो परमाणु सीमांत कथा साहित्य के रूप में मूलनिवासी और जापानी लोगों द्वारा झेले गए अपूरणीय नुकसान के दर्दनाक अनुभव को प्रस्तुत करती है।
बिसकाबियांग, “खुद की ओर लौटना”: उत्तर आधुनिकता और (उत्तर) औपनिवेशवाद के परे।
कहने की ज़रूरत नहीं कि सभी प्रकार के देशज भविष्यवाद बिसकाबियांग के विवरण हैं, यह अनशीनाबेमोविन भाषा का एक शब्द जो “खुद की ओर लौटने” की प्रक्रिया को दर्ज करता है, इसमें इस बात की खोज करना शामिल है कि उपनिवेशवाद कैसे किसी को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करता है, और इसके मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव को खारिज करता है और पुरखों की परंपरा को पुनः अर्जित करता है ताकि स्थानीय प्रलयोत्तर विश्व के साथ सामंजस्य बना सकें। इस प्रक्रिया को अक्सर “उपनिवेशवाद की समाप्ति” कहा जाता है, जैसा कि लिंडा तुहिवई स्मिथ (माओरी) समझाती हैं, इसके लिए पाश्चात्य-यूरोपीय अवधारणाओं की नकल करने की बजाय उन्हें बदलने की ज़रूरत है।23 बादलों पर चल पड़े Walking the Cloud नस्लवादी और औपनिवेशिक संरचनाओं और उनके साथ खुद विज्ञान कथा साहित्य की मिलीभगत को चुनौती देती है।
वे लेखक जिन्होंने देशज भविष्यवाद के साथ प्रयोग किए हैं वे इस तरह का “नृवंशदर्शन” बना सकते हैं जिसके बारे में इसियह लवेंडर कहते हैं: लेखक भविष्य के ऐसे अलग संसार की रचना कर सकते हैं जिनमें लेखक “एक काल्पनिक माहौल रच सकते हैं जिसमें नस्ल, तकनीक और सत्ता के बीच एक ज़मीन की निर्मिति” कर सकते हैं, या कभी-कभी यहाँ शामिल कहानियों के संदर्भ में ज्यादा सटीक, देशज राष्ट्रों और अन्य संप्रभुताओं, नस्लों, तकनीकों और सत्ता के बीच ज़मीन की निर्मिति कर सकते हैं।
इसके अलावा, उपनिवेशवाद की समाप्ति को इसकी समग्रता में, कम से कम उपनिवेशोत्तर विज्ञान कथा साहित्य के करीब, और बिस्कियांग की राह के रूप में देशज भविष्यवाद के केंद्रीय तत्व के रूप में पहचाना जाना चाहिए। एमी रेनसम औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ प्रतिरोध की ज़मीन के रूप में प्रतिरोध के उपनिवेशोत्तर विज्ञान कथा साहित्य पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण प्रस्थान बिन्दु उपलब्ध कराती हैं।25 इसी तरह, मिशेल रीड के उपनिवेशोत्तरवाद की समीक्षा में यह नज़रिया प्रस्तुत किया गया है कि विज्ञान कथा लेखन का सामना उपनिवेशवादी प्रथाओं के ज़बरदस्त आधार से है।26 और जॉन रीडर की औपनिवेशवाद और विज्ञान कथा साहित्य का उद्भव Colonialism and the Emergence of Science Fiction विज्ञान कथाओं में उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद का एक क्रांतिकारी अध्ययन प्रस्तुत करती है। इसमें तर्क दिया गया है कि अनुकूल बनाने की कल्पनाएँ, “खोई हुई नस्लों” को अधीनस्थ बनाना, और “खोजी गई संपत्ति” की लूटपाट केवल इस विधा के लिए ऐतिहासिक विशेषताएँ नहीं हैं, बल्कि समकालीन विज्ञान कथाओं में भी इनकी मौजूदगी बनी रहती है।27
अंत में, बादलों पर चल पड़े Walking the Clouds स्थानीय लेखकों को स्थानीय स्थितियों के बारे, कल्पनाओं में उन्मुक्त स्थानीयता केन्द्रित दुनिया के बारे में लिखने के लिए प्रेरित करते हुए, हमें अपने पास लौटा लाती है। यह कहानियाँ आत्म-चिंतन, अपरिचय, और अति-यथार्थ वर्तमान जैसी विशेषताओं को प्रदर्शित करती हैं, जिन्हें वेरोनिका हॉलीन्जर के अनुसार उत्तर-आधुनिक विज्ञान कथा का आधार माना जाता है।28 लेकिन यह स्थितियाँ स्थानीय अनुभवों के लिए नई नहीं हैं। जैसा कि जेराल्ड विजनर ने ज़ोर देखा कहा है, उत्तर-आधुनिकता पहले से ही प्रथम राष्ट्रों के लोगों की एक स्थिति है, क्योंकि यदि वे उन्नीसवीं सदी के अंत के प्रसिद्ध मैदानों की इंडियन छवि से मेल नहीं खाते, तो उन्हें “पोस्ट इंडियन” के रूप में देखा जाता है।29
ईडन रॉबिन्सन की “टर्मिनल एवेन्यू” Terminal Avanue ब्लैक होल और क्षितिज घटना को आधुनिक “इंडियन समस्या” बता कर समेट देती है। लेस्ली मारमोन सिलको की मृतक की डायरी Almanac of the Dead ववोका की प्रेत नृत्य की भविष्यवाणी को साकार करते हुए देशज अमरीकियों को फिर से स्थापित करती है। स्टीफन ग्रैहम जोन्स की चिड़िया उड़ गई The Bird Is Gone लोक संस्कृति के प्रतीक टोंटो और लोन रेंजर को दोबारा देखती है। रॉबर्ट सुलिवन की “स्टार वाका” देशज अंतरिक्ष यात्रियों के नए ग्रहों पर पहुंचने पर विचार करती है।
अंततः, इस संग्रह की सभी कहानियाँ उपनिवेशोत्तर, उत्तर-आधुनिक देशज अस्तित्व की अतियों के बीच झूलती रहती हैं, और संतुलन की खोज करती हैं।
आप भी संतुलन हासिल करें।
मिनो बीमातीसीविन!
[1] Drew Hayden Taylor, alterNatives (Vancouver, BC: Talon Books, 2000).
[2] The term Indigenous throughout this book references the kind of breadth that Simon Ortiz (Acoma Pueblo) gives it: “I have been using the word Indigenous more because while we are Native or Indigenous to the Americas, in terms of the world, there are Indigenous peoples all over the world, the people of Africa, the people in the Mid-East, the people in the Pacific, Indigenous peoples that are in the forefront of changing the world. If Western culture is dissipating and eventually falling apart, Indigeneity is very much going back to the roots, but going back toward a way in which the earth is in relationship to us and we with it in a very reciprocal way. We’re not just using the earth to be our technological Garden of Eden. The earth is not necessarily under our control, but the relationship is one of responsibility, so that relationship is [a] creative one.” “Simon J. Ortiz, In His Own Words,” Evelina Zuni Lucero’s interview in Simon J. Ortiz: A Poetic Legacy of Indigenous Continuance (Albuquerque: University of New Mexico Press, 2009), 163.
[3] Joy Harjo’s original coinage of “Skin thinking” or “thinking in skin” quickly accrued multilayered meanings of Native “intellectual sovereignty,” inviting, in this case, readers to enjoy not only the pleasurable levels of cognitive dissonances grounded in sf and speculative fiction but also the commitment to embodiment, fusing our bodies with our intellects connected to material realities, a “map to the next world.” See Robert Warrior (Osage), “Your Skin Is the Map: The Theoretical Challenge of Joy Harjo’s Erotic Poetics,” in Reasoning Together: The Native Critics Collective, ed. Janice Acoose, Lisa Brooks, Tol Foster, and Leanne Howe (Norman: University of Oklahoma Press, 2008), 340–52. Skin thinking also has the implications of reading stories with the richness and awareness of the specific tribal frameworks relationally within an intertribal setting, or as Tol Foster (Anglo-Creek) puts it, “fires that travel,” a cosmopolitan tribal tradition (i.e., not a universal pan-tribalism but a readiness to perceive interactions and negotiations of Skin thinking). “Of One Blood: An Argument for Relations and Regionality in Native American Literary Studies,” in ibid., 276–78. Thinking in Skin additionally concentrates on reading writers of Indigenous nations within the networks of intertribalism, as Lisa Brooks (Abenaki) urges. “Digging at the Roots: Locating an Ethical, Native Criticism,” in ibid., 234–64. Thinking in Skin is a relational framework of Native thought and one that is helpful for the increasingly global network of Indigenous intellectual exchanges and storytelling.
[4] John Rieder, Colonialism and the Emergence of Science Fiction (Middletown, CT: Wesleyan University Press, 2008). While he supplies a necessary caveat in attempting to define genre itself or a contested arena such as sf, describing it as a “web of resemblances . . . an intertextual phenomenon always formed out of resemblances or oppositions among texts,” Rieder nevertheless contends that sf becomes complicit in the colonial gaze (1–2, 18). Note that Adam Roberts’s The History of Science Fiction (Basingstoke, U.K.: Palgrave Macmillan, 2005) divides sf into stories of travel through space, of travel through time, of imaginary technologies, and utopian fiction; he devotes several chapters to much earlier forms of sf that can be set side by side with classical Greek and Roman literature but invariably agrees with Rieder when approaching nineteenth-century sf, which represents “in some cases, a direct mapping of Imperialist or political concerns” (88).
[5] Roger Luckhurst, Science Fiction (Cambridge: Polity Press, 2005), provides an excellent study of the cultural history of sf but slips up when he demarcates: “The different experience of time associated with modernity [and therefore, sf writing, the emphasis of his book] orients perceptions towards the future rather than the past or the cyclical sense of time ascribed to traditional societies” (3). This would unintentionally omit much of Native sf whose futures very much are thought experiments about recycling space-times or parallel worlds.
[6] Nalo Hopkinson writes in her own introduction to So Long Been Dreaming: Postcolonial Science Fiction and Fantasy, “Arguably one of the most familiar memes of science fiction is that of going to foreign countries and colonizing the natives, and as I’ve said elsewhere, for many of us, that’s not a thrilling adventure story: it’s non-fiction, and we are on the wrong side of the strange-looking ship that appears out of nowhere” (Vancouver, Canada: Arsenal Pulp Press, 2004), 7.
[7] Mark Bould, “The Ships Landed Long Ago: AfroFuturisms and Black SF,” Science Fiction Studies 34, no. 2 (2007): 182. For a discussion of the “merging of African and Native American traditions formed in the New World,” see Jonathan Brennan, When Brer Rabbit Meets Coyote: African–Native American Literature (Champaign: University of Illinois Press, 2003): xiii. The seminal work on the topic is Jack Forbes’s Africans and Native Americans: The Language of Race and the Evolution of Red-Black Peoples, 2nd ed. (Champaign: University of Illinois Press, 1993). See also Joanna Brooks, American Lazarus: Religion and the Rise of African American and Native American Literatures (New York: Oxford University Press, 2007).
[8] De Witt Douglas Kilgore, Astrofuturism: Science, Race, and Visions of Utopia in Space (Philadelphia: University of Pennsylvania Press, 2003), 29 and 213. The parallel experiences of African and Indigenous diasporic peoples are hinted at throughout sf, as in Ben Bova’s Mars series, which elicited Kilgore’s comments. There a Navajo geologist inadvertently brings Navajo ways of sovereignty to a desolated and arid Mars whose aboriginal inhabitants are long gone. Pursuing the implications of these theories, De Witt Douglas Kilgore explains the cultural relevance of sf in dealing with issues of race and ethnicity: “What is at stake for me is the shape of the future: whether or not we can imagine, in any meaningful way, a future that both reflects and influences the complex realities of a complex world. . . . Are peoples of color equals in the space future vision or only clients who may visit the frontier as long as they behave? Can a nonwhite character carry the visionary burden of the space future in a medium that is often considered the exclusive preserve of white males?” (3).
[9] Taiaiake Alfred, Peace, Power, Righteousness: An Indigenous Manifesto, 2nd ed. (New York: Oxford University Press, 2009), 165.
[10] Victoria de Zwaan, “Slipstream,” in The Routledge Companion to Science Fiction, ed. Mark Bould, Andrew M. Butler, Adam Roberts, and Sherryl Vint (New York: Routledge, 2009), 500–504.
[11] Damien Broderick, Transrealism: Writing in the Slipstream of Science (Westport, CT: Greenwood Press, 2000), 21.
[12] John Gribbin, In Search of the Multiverse: Parallel Worlds, Hidden Dimensions, and the Quest for the Frontiers of Reality (New York: Allen Lane, 2009), 63.
[13] Gerald Vizenor, Fugitive Poses: Native American Indian Scenes of Absence and Presence (Lincoln: University of Nebraska Press, 1998), 15.
[14] Ibid., 51.
[15] Istvan Csicsery-Ronay Jr., The Seven Beauties of Science Fiction (Middletown, CT: Wesleyan University Press, 2008), 218, 220.
[16] Lisa Brooks, The Common Pot: The Recovery of Native Space in the Northeast (Minneapolis: University of Minnesota Press, 2008), 4–10.
[17] Csicsery-Ronay Jr., Seven Beauties of Science Fiction, 157.
[18] A starting point, though, could be any works by Keith James (Haudonasonee) or any by Gregory Cajete (Tewa from Santa Clara Pueblo Nation), but especially, perhaps, Native Science: Natural Laws of Interdependence (Santa Fe: Clear Light, 2000).
[19] Wendy Makoons Geniusz, Our Knowledge Is Not Primitive: Decolonizing Botanical Anishinaabe Teachings (Syracuse, NY: Syracuse University Press, 2009). This work expands on gikendaasowin and notes historically that the “search for botanical knowledge helped to drive the force of European colonization in the Americas and around the world. Many ‘explorers’ and their sponsors sought the economic opportunities brought by ‘discovering’ previously unknown plants and botanical knowledge” (16).
[20] Andy Duncan, “Alternate Histories,” in The Cambridge Companion to Science Fiction, ed. Edward James and Farah Mendlesohn (Cambridge: Cambridge University Press, 2003), 217.
[21] Cited by Deborah L. Madsen, “On Subjectivity and Survivance,” in Survivance: Narratives of Native Presence, ed. Gerald Vizenor (Lincoln: University of Nebraska Press, 2008), 65–66.
[22] Patrick B. Sharp’s Savage Perils: Racial Frontiers and Nuclear Apocalypse in American Culture (Norman: University of Oklahoma Press, 2007), 172.
[23] Linda Tuhiwai Smith, Decolonizing Methodologies: Research and Indigenous Peoples (London: Zed Books, 1999), 39.
[24] Isiah Lavender, Race in American Science Fiction (Bloomington: Indiana University Press, 2010).
[25] Amy Ransom, “Oppositional Postcolonialism in Quebecois Science Fiction,” Science Fiction Studies 33, no. 2 (2006): 291–312.
[26] Michelle Reid, in The Routledge Companion to Science Fiction, ed. Mark Bould, Andrew M. Butler, Adam Roberts, and Sherryl Vint (New York: Routledge, 2009), 256–66.
[27] Rieder, Colonialism and the Emergence of Science Fiction.
[28] Veronica Hollinger, “Science Fiction and Postmodernism,” in A Companion to Science Fiction (Oxford: Blackwell, 2005), 232–47.
[29] Larry McCaVery, Some Other Frequency: Interviews with Innovative American Authors (Philadelphia: University of Pennsylvania Press, 1996), 293.